Friday 4 March 2016

ममता

कभी कभी रात के अँधेरे में
तकिये पर रख कर सर
अधखुली उनींदी आँखों से
देखते है कुछ ख्वाब
अपने बच्चों के लिए
कैसे हो वो सब साकार
फिर इसी उधेढ़ बुन में खो जाते हैं
रब को भी मनाते हैं
नींद नहीं आती जब तक
ममता में ही गोते लगाते हैं

No comments:

Post a Comment